When is Diwali in 2022 Date,Time, History & Significance
During Diwali, good triumphs over evil. Find out when Diwali will be in 2022 so that you may prepare your preparations for the day. Look here Date, timing, history, and significance of Diwali
Without a doubt, one of the most popular holidays in India is Diwali. The festival of lights known as Diwali starts on Dhanteras and ends on Bhai Dooj.
When is Diwali 2022 Date
Diwali 2022 will be observed on October 24, 2022, according to the Hindu calendar. Lakshmi Ganesh Pujan, also known as Diwali Puja, is the devotion of Lord Ganesh and Goddess Lakshmi on this day.
When is Diwali in 2022: Time
Amavasya tithi begins at 05:27 PM on October 24, 2022
Amavasya tithi ends at 04:18 PM on October 25, 2022
दिवाली 2022- 24 अक्तूबर
लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त –शाम 06 बजकर 54 मिनट से 08 बजकर 16 मिनट तक
लक्ष्मी पूजन की अवधि-1 घंटा 21 मिनट
प्रदोष काल – शाम 05 बजकर 42 मिनट से रात 08 बजकर 16 मिनट तक
वृषभ काल – शाम 06 बजकर 54 मिनट से रात 08 बजकर 50 मिनट तक
दिवाली लक्ष्मी पूजा महानिशीथ काल मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त – रात 11 बजकर 40 मिनट से लेकर 12 बजकर 31 मिनट तक
अवधि – 50 मिनट तक
दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त 2022
सायंकाल मुहूर्त्त (अमृत,चल):17:29 से 19:18 मिनट तक
रात्रि मुहूर्त्त (लाभ) :22:29 से 24:05 मिनट तक
रात्रि मुहूर्त्त (शुभ,अमृत,चल):25:41 से 30:27 मिनट तक
Diwali 2022: प्रकाश का पर्व दीपावली इस वर्ष 24 अक्तूबर,सोमवार को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में दिवाली सबसे बड़ा त्योहार होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार दीपावली प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर मनाई जाती है। दिवाली रोशनी का पर्व है। मान्यता है इस दिन भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्ति के बाद अयोध्या आए थे जिसकी खुशी में सभी नगरवासी अपने प्रभु राम के स्वागत में दीप जलाएं थे। इसके अलावा ऐसी मान्यता भी है कि दीपावली पर मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं इस कारण दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। कार्तिक अमावस्या पर दीपदान करने का विशेष महत्व होता है। पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक माह की अमावस्या पर मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं,वहीं वाल्मीकि रामायण के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु संग माता लक्ष्मी का विवाह हुआ था। इस वजह से हर साल दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का महत्व है। दिवाली आने से कई दिनों पहले से ही घरों की साफ-सफाई और सजावट होने लगती है। दिवाली की शाम को शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश,कुबेर और माता सरस्वती की विशेष पूजा आराधना की जाती है। आइए जानते हैं इस दिवाली पर किस शुभ-मुहूर्त में करें लक्ष्मी-गणेश की पूजा और पूजा से जुड़ी सभी जानकारियां…
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के शुभ मुहूर्त का महत्व
दिवाली पर मां लक्ष्मी का विशेष पूजा करने का विधान होता है। दिवाली में मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश, भगवान कुबेर और माता सरस्वती की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल में किया जाना सबसे शुभ माना गया है। प्रदोष काल का मतलब सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त से होता है। इसके अलावा प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन करना सर्वोत्तम माना गया है। माना जाता है कि स्थिर लग्न में की गई पूजा-आराधना में माता लक्ष्मी वहां पर अवश्य अपने कुछ अंश के रूप में निवास करने लगती हैं। इसके अलावा महानिशीथ काल में भी लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है।
दिवाली लक्ष्मी पूजा विधि
हर वर्ष कार्तिक अमावस्या तिथि पर देश-विदेश में दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सुबह से पूजा की तैयारियां आरंभ हो जाती है। घरों को रंगोली और प्रकाश से सजाया जाता है। दिवाली की शाम और रात को शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी,भगवान गणेश, मां सरस्वती और कुबेर देवता की पूजा और आराधना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक अमावस्या की रात को मां लक्ष्मी स्वर्गलोक से पृथ्वी पर आती हैं और घर-घर विचरण करते हैं। जिन घरों में हर तरफ साफ-सफाई,सजावट और प्रकाश रहता है। वहां पर मां लक्ष्मी अपने अंश रूप में निवास करने लगती हैं। घर पर लक्ष्मी का वास होने पर वहां पर सदैव सुख-समृद्धि,धन-दौलत और शांति बनी रहती है। इस कारण से दिवाली के कई दिनों पहले और दिवाली के दिन घर की साफ-सफाई और सजावट करके विधि-विधान से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा पाने के लिए पूजन करने की परंपरा है। आइए जानते हैं दिवाली पर कैसे करें लक्ष्मी पूजा।
दिवाली लक्ष्मी-कुबेर पूजा मंत्र
1. ॐ श्रीं श्रीयै नम:
2. ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः॥
3. ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
4. कुबेर प्रार्थना मंत्र-धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च। भगवान् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पद:।।
महालक्ष्मी मंत्र
ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।।
श्री लक्ष्मी बीज मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥
अर्घ्य मंत्र
क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते।
सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नम:।।
निवेदन मंत्र
सुरभि त्वं जगन्मातर्देवी विष्णुपदे स्थिता।
सर्वदेवमये ग्रासं मया दत्तमिमं ग्रस।।
प्रार्थना मंत्र
सर्वमये देवि सर्वदेवैरलड्कृते।
मातर्ममाभिलाषितं सफलं कुरु नन्दिनी।।
दिवाली लक्ष्मी पूजन सामग्री
1- शंख
2- कमल का फूल
3- गोमती चक्र
4- धनिया के दाने
5- कच्चा सिंघाड़ा
6- मोती
7- कमलगट्टे का माला
माता लक्ष्मी की आरती (Lakshmi Mata Ki Aarti)
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता।
मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
When is Diwali 2022 History
Ramayana is connected to Diwali. To commemorate Lord Rama’s arrival back in Ayodhya, the holiday of Diwali is celebrated.
Lord Rama spent 14 years in the wilderness before returning to Ayodhya.
The eldest son of King Dasharatha was exiled in a wilderness for 14 years, according to the Ramayana.
He went to the forest with his wife Sita and brother Laxman. It is said that after killing Ravana, Lord Ram, his brother Laxman, and his wife Sita returned to Ayodhya when their exile was over.
To this day, Diwali is celebrated with the same fervour and good fortune as the day they returned.
When is Diwali 2022 Significance
People come together to celebrate Diwali. Homes are lit up with fireworks and lights.
People hug and laugh with one another throughout this moment. The event is observed with a spirit of goodwill and exudes purity.
The lights of Diwali represent a time to extinguish all of our evil intentions and fantasies, to drive out all shadowy forces, and to give us the vigour and energy to carry out our good deeds for the remainder of the year.
Diwali 2022 Dates & Shubh Muhurat Timing
Diwali 2022 is on October 24, Monday
1 month and 9 days to go for the event
Karthik Amavasya Tithi Timing: October 24, 5:27 pm – October 25, 4:18 pm
Pradosh puja time : October 24, 5:50 pm – October 24, 8:22 pm
Diwali Calendar 2022 – The 5 days of Diwali 2022
Day 1 | Dhanteras | October 23, Sunday |
Day 2 | Naraka Chaturdasi (Chotti Diwali) | October 24, Monday |
Day 3 | Lakshmi Puja (Diwali Festival) | October 24, Monday |
Day 4 | Govardhan Puja | October 26, Wednesday |
Day 5 | Bhai Dooj | October 27, Thursday |
Diwali spreads the message of unity and friendship while illuminating our homes and hearts. Light represents luck, success, knowledge, and hope, and Diwali strengthens our belief in these qualities of life.
Diwali 2022 Shubh Muhurat & Amavasya Tithi Timings
Sunrise | 24 October, 2022 06:31 AM. |
Sunset | 24 October, 2022 05:50 PM. |
Amavasya Tithi Starts | 24 October, 2022 05:27 PM. |
Amavasya Tithi Ends | 25 October, 2022 04:18 PM. |
Pradosha Puja Time | October 24, 05:50 PM – October 24, 08:22 PM |
Diwali Rituals
Diwali is a holiday that is widely observed in India and is hence a significant national holiday.
Diwali begins with Dhanteras, which marks the start of a new fiscal year; the second day is Naraka Chaturdasi, which commemorates the day Lord Krishna slew the demon Narakasura; and the third day is Amavasya, which is dedicated to Goddess Lakshmi, the goddess of fortune and wealth.
The final day, Bhai Dooj, is when sisters honour their brothers and ask for their long life and well-being. The fourth day is Govardhan Puja.
Diwali is a time for feasting, gambling, gift-exchanging with loved ones, and setting off firecrackers. On this day, people worship Lord Ganesha and Goddess Lakshmi and wear new clothing. The Special Lakshmi Puja is held on this day.
During Diwali, people in Southern India welcome their ancient King Mahabali home by decorating their homes with flowers and cow dung. On this day, Govardhan Puja is finished.
On this day, Goddess Kali is revered throughout Bengal and other parts of Eastern India. It’s called Shyama puja.
Diwali in Maharashtra begins with the veneration of cows and their calves. It is referred to as Vasu baras.
Large-scale Diwali fairs are organised all around the nation. These fairs serve as commercial hubs and frequently feature performances by acrobats and artists.
Diwali is a holiday that is widely observed in India and is hence a significant national holiday.
Diwali begins with Dhanteras, which marks the start of a new fiscal year; the second day is Naraka Chaturdasi, which commemorates the day Lord Krishna slew the demon Narakasura; and the third day is Amavasya, which is dedicated to Goddess Lakshmi, the goddess of fortune and wealth.
The final day, Bhai Dooj, is when sisters honour their brothers and ask for their long life and well-being. The fourth day is Govardhan Puja.
Diwali is a time for feasting, gambling, gift-exchanging with loved ones, and setting off firecrackers. On this day, people worship Lord Ganesha and Goddess Lakshmi and wear new clothing. The Special Lakshmi Puja is held on this day.
During Diwali, people in Southern India welcome their ancient King Mahabali home by decorating their homes with flowers and cow dung. On this day, Govardhan Puja is finished.
On this day, Goddess Kali is revered throughout Bengal and other parts of Eastern India. It’s called Shyama puja.
Diwali in Maharashtra begins with the veneration of cows and their calves. It is referred to as Vasu baras.
Large-scale Diwali fairs are organised all around the nation. These fairs serve as commercial hubs and frequently feature performances by acrobats and artists.
Diwali festival dates between 2019 & 2029
Year | Date |
---|---|
2019 | Sunday, 27th of October |
2020 | Saturday, 14th of November |
2021 | Thursday, 4th of November |
2022 | Monday, 24th of October |
2023 | Sunday, 12th of November |
2024 | Friday, 1st of November |
2025 | Tuesday, 21st of October |
2026 | Sunday, 8th of November |
2027 | Friday, 29th of October |
2028 | Tuesday, 17th of October |
2029 | Monday, 5th of November |
2022 Diwali Calendar, Deepavali Calendar
The most well-known holiday of the year is Deepawali, which is often referred to as Diwali. The five-day festival known as Diwali lasts from Dhanteras to Bhaiya Dooj. The celebrations for Diwali begin one day earlier in Maharashtra on Govatsa Dwadashi, whereas in Gujarat they start two days earlier on Agyaras and end on Labh Panchami.
Various rituals are observed over the course of the five-day celebration, and in addition to Goddess Lakshmi, many other Gods and Goddesses are worshipped. However, during the Diwali Puja, Goddess Lakshmi is the most important deity. Amavasya, or the new moon day, is the most important of the five days of Diwali celebrations and is also known as Lakshmi Puja, Lakshmi-Ganesh Puja, and Diwali Puja.
Not just in households, but also in workplaces, Diwali Puja is performed. The most important day for the most traditional Hindu businesspeople is Diwali Puja. On this day, people revere the ink bottle, pens, and fresh accounting books. By performing Goddess Maha Kali worship on them, the ink bottle and pen, known respectively as Davat and Lekhani, are made holy. Bahi-Khate, or new account books, are sanctified by the worship of Goddess Saraswati on them.
After nightfall is the most opportune time to perform Diwali Puja. Pradosh refers to the period immediately following sunset. When Amavasya Tithi is dominant during Pradosh, Diwali Puja is held on that day. Therefore, even if it is only available for one Ghati, no other Diwali Puja Muhurat is as good as Puja Muhurat during Pradosh (approximately 24 minutes).